27.4.24

Is everything predestined ? Dr. Salil Samadhia

आध्यात्मिक जगत के बड़े से बड़े प्रश्नों में एक है  -
क्या सब कुछ पूर्व निर्धारित है ? 
(Is everything predestined ? )
यदि हां , तॊ फिर Free will या कर्म की स्वतन्त्रता का क्या अर्थ है ?? 
फिर तॊ कोई पाप भी करे तॊ वह पूर्व निर्धारित ही हुआ ? 
और अगर सब पूर्व निर्धारित नही है ..तॊ परम सत्ता की सर्वज्ञता किस बात की ?? 
फिर तॊ यह भी ज़रूरी नही कि  जगत की सब चीज़ें एक order या discipline में ही हों  ! 
जगत घोर अराजक(Chaotic) भी हो सकता है ?? 
तब तॊ कर्म का फल भी अनिश्चित हो सकता है ! 
यानि , 
तब  तॊ कार्य-कारण का भी कोई संबध नही रह जाता ?? 
...अर्थात  
सब अनिश्चित है ..तॊ मेरे पाप का फल ..पुण्य भी हो सकता है !

यह puzzle सिर्फ आध्यात्मिक जगत की ही नही , बल्कि , 
Uncertainty में Certainty ..मॉडर्न साइंस की भी बड़ी से बड़ी गुत्थी है !!

(लगभग सारे ही धर्म ..हिंदू ,इस्लाम, क्रिश्चियनिटी व अन्य भी, पूर्व निर्धारणवाद को मानते हैं ! 
जैन दर्शन भी कर्म सिद्धांत के तहत partially इसे मानता है !)

पिछ्ली पोस्ट में यह वार्तालाप था  -

Q. क्या सब कुछ पूर्व निर्धारित है ? 
Ans - आपके लिए "नही" परमात्मा के लिए  "हां" !

...अनेक मित्रों ने इसे स्पष्ट करने को कहा है ! 
लिहाज़ा यह गुह्यतम बात समझाने की कोशिश कर रहा हूं ! 👇👇

इसे ऐसे समझें , 
दो व्यक्ति  हैं ! 
एक सड़क पर पैदल चल रहा है ! 
दूसरा एक ऊंचे टॉवर पर बैठा है ! 
पैदल चलते व्यक्ति को एक सीमित दृश्य दिख रहा है !  उसे उतना ही दृश्य दिख रहा है ..जितना उसकी आंखें सामने देख पा  रही हैं ! 

...उसके आगे एक गली है ..जिसमें से एक काली कार आ रही है ! 
किंतु इस आदमी को वह कार नही दिख रही है ! इसे वह कार तब ही दिखेगी ..जब वह उसकी आँखों के सामने आ जाएगी ! 
...फिर वह कार गुज़र जाएगी और उस कार की स्मृति उस व्यक्ति का अतीत (past) बन जाएगी ! 

....अब उस दूसरे व्यक्ति का ख़्याल करें ..जो उसी वक़्त एक ऊंचे टॉवर पर बैठा है ! 
यह दूसरा व्यक्ति ..पैदल चलते व्यक्ति को तथा गली से आती काली कार को ..एकसाथ देख पा रहा है ! 
क्योंकि वह ऊँचाई पर है और उसे ज़्यादा बड़ा व्यू दिख पा रहा है ! 
वह पैदल व्यक्ति , गली से गुज़रती कार के अलावा भी बहुत कुछ देख रहा है ! 
...इसीलिए यह व्यक्ति पहले ही बता सकता है कि , 
गली में एक काली कार आ रही है और कुछ ही समय में वह,  उस पैदल व्यक्ति के सामने आ जाएगी !! 
यही नही ,  अपितु वह इन दोनों की (पैदल व्यक्ति व कार ) पूर्व में तय की गई यात्रा व दूरी भी देख चुका है ! 
इस तरह , ऊंचाई से वह इन दोनों का ..भूत ,वर्तमान ,  भविष्य एक साथ देख रहा है ! यानि जो गुज़र गया , जो चल रहा है ..और जो होने वाला है !
दरअस्ल ,  ऊँचाई से देखने पर सब वर्तमान ही है ! 
यानि अतीत व भविष्य भी वर्तमान ही है ! 
इसीलिए वह एकसाथ देखा जा सकता है !

किंतु जो नीचे की  सापेक्षता में खड़ा है ,  वह आगे पीछे पूरा नही देख पा रहा है इसलिए ..उसके लिए तॊ अतीत , अतीत है ! 
भविष्य , भविष्य है ! 
और जो उसके सम्मुख हो रहा है ..वही वर्तमान है ! 

अब एक स्टेप ऊपर उठें ,  और ऊँचाई पे खड़े व्यक्ति को Field मान लें ! यानि द्रष्टा , या परमात्मा, या परम चेतना  ! 
जिसके देखने मात्र से ही क्रिया विधि होती है ! 
तॊ चूँकि Obsever का Intention यानि संकल्प ,  क्वांटम वेव को split कर देता है ..जिससे time और space  की उत्पत्ति होती है ..और ऐसा निरंतर हो रहा है ! अतः द्रष्टा के लिए तॊ संकल्प का परिणाम पूर्व निर्धारित ही है ! 
और यह तत्क्षण , युगपत है ! 
..इसीलिए जो ब्रह्म तरंग है ..या कहें field है ..(इसे आप आकाश , absolute void ,  ईश्वर , supreme consciousness , कृष्ण,   शिव,  अल्लाह , राम , परमात्मा .....चाहे जो नाम दे सकते हैं ) 
...उसके लिए चूँकि सब निपट वर्तमान ही है ..इसीलिए पूर्व निर्धारित ही है !! 

...किंतु dense तरंगों के लिए , या कहिए ईकाई चेतना के लिए कुछ भी पूर्व निर्धारित नही है ! 
क्योंकि वह उसमें तब्दीली कर सकता है ! 
...यानि , 
आगे को चलता पैदल व्यक्ति , पलटकर पीछे भी चल सकता है ! 
वह रूक भी सकता है , बैठ भी सकता है , भागने भी लग सकता है !! 

...किंतु ब्रह्म चेतना में , ईकाई चेतना की वह तब्दीली भी तत्क्षण रजिस्टर हो जाती है.. और उसका परिणाम भी ! 
क्योंकि ब्रह्म चेतना की दृष्टि सिर्फ उस पैदल व्यक्ति पर ही नही , उसके intention पर भी है ! 
अतः उसके लिए , वह तब्दीली भी पूर्व निर्धारित है ..क्योंकि वह cause & effect की श्रृंखला को जानता है !! 

..अगर आप समय के भीतर है ..तॊ कुछ भी पूर्व निर्धारित नही है ! 
सब आपके कार्य-कारण की श्रृंखला है ! 
इसे ही बुद्ध "प्रतीत्यसमुत्पाद" कहते हैं ! 

किंतु अगर आप समय के बाहर हैं तॊ सब पूर्व निर्धारित  है ..क्योंकि सब अविभाजित है , सब वर्तमान ही है !! 

हम पर अरबों-खरबों घटक एकसाथ काम कर रहे हैं ..जिनका हमें बोध नही है ..क्योंकि वह हम पर प्रकट नही हैं ! 
..किंतु ,  Field की चेतना में वह एकसाथ दृष्टिगत हैं ! 

हम किन कारणों से , और क्या Intention पैदा कर रहे हैं ..और उससे हमारी Quantum field किस तरह प्रभावित हो रही है तथा वह क्या परिणाम प्रस्तुत करने वाली है ...
यह सब उस Void में Immediate scan हो जाता है ! 
उसी तरह ..जैसे क्रिलियन फ़ोटोग्राफ़ी,  कली में ही खिले हुए फूल का Aura , catch कर लेती है ! 

...अब अन्त में उस पैदल चलते व्यक्ति की "Free Will"  पे आते हैं ! 
..क्या यह ज़रूरी है कि वह सीधा ही चलेगा ?? 
वह बैठ भी सकता है , मुड़ भी तॊ  सकता है !! 
Yes ,  ये उसकी free will (कर्म स्वातंत्र्य ) है ! 

...किंतु चूँकि supreme consciousness  कार्य-कारण की श्रृंखला के सूक्ष्मतम स्तर पर भी विद्यमान है ..अतः वह जानती है कि क्या कारण  बोया गया है ..जिससे क्या परिणाम उत्पन्न होगा ! 
..इसीलिए उसके लिए हमारी free will भी , 
pre decided will  ही है ! 
....क्योंकि उसे हमारे कार्य में रद्दो-बदल किए जाने की ख़बर भी हमसे पहले ही है ..क्योंकि उसे हमारी Psyche की भी ख़बर है,  तथा उस पर कार्य करने वाले हज़ार अन्य कारकों की भी ख़बर है !! 
क्योंकि उसमें तत्क्षण सब रजिस्टर हो रहा है ! 

पैदल चलते आदमी का रूक जाना , मुड़ जाना आदि उसकी free will है ..किंतु , 
उसके निर्णय पर पहुंचने की प्रक्रिया की bit by bit  रजिस्ट्री field में पहले ही है ...अतः  Field के लिए ,  या कहें  परमात्मा के लिए वह पूर्व निर्धारित (Predestined) ही है ! 

इसे , इससे ज़्यादा नही समझाया जा सकता ! 
क्योंकि यह किसी मंत्र के अर्थ के खुलने की तरह की बात है ! 
खुल गया तॊ खुल गया ..नही खुला ..तॊ नही खुला ! 

(यह पोस्ट बहुत बौद्धिक हो गई है , 
लिहाज़ा  pic हमने हँसती हुई लगा दी है ! 😊)

##सलिल##

17.4.24

धर्म और संप्रदाय

What is the difference Thebetween Dharm & Religion ?
    English language has its own compulsions.. This language has a lot of difficulty in deriving the meaning of words from other languages. English is the weakest language for the meaning of words from other languages. But it is simple enough that people feel comfortable accepting it as a communication language.
  To understand the poverty of English, we need to understand its linguistic ability to define Dharma and religion.
According to various Indian scripts Dharma is not religion.
In my opinion Dharma does not mean religion.
Because dharma is an eternal ongoing practice.
People who believe in Dharma believe in the power of ब्रह्म or God.
  According to my study, there are many religions in Sanatan Dharma including Shaiva, Vaishnava, Shakt, Aarsh, Etcetera. All these religions are part of Sanatan.
  The basic content of Dharm is the belief in purity and divine elements. Whereas rituals and procedures are present in religion and sect.
  Dharma says that we should worship God, Religions and sects tell us which method we should adopt for worship.
Nobody has established Dharma.
  On the contrary, every religion or sect is founded by some great thinkers.
Tell me in the comment box whether you agree with my views or not. 

Youtube Link #English #Podcast 

Wow.....New

Is everything predestined ? Dr. Salil Samadhia

आध्यात्मिक जगत के बड़े से बड़े प्रश्नों में एक है  - क्या सब कुछ पूर्व निर्धारित है ?  (Is everything predestined ? ) यदि हां , तॊ...