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मेरा संसार :ब्लॉग कहानी

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आचार्य रजनीश (वेब दुनिया से साभार ) सर , और सर के चम्मच जो सर के खाने के सहायक उपकरण होते हैं को मेरा हार्दिक सलाम मैं ….. आपका दास जो आपको नहीं डालता घास , इसलिए क्योंकि आप कोई गधे थोड़े हैं॥ आप आप हैं मैं आपका दास इतना दु:साहस कैसे करूँ हज़ूर । आप और आपका ब्रह्म आप जानिए मेरा तो एक ही सीधा सीधा एक ही काम है.आपकी पोल खोलना . आपकी मक्कारियों की पाठशाला में आपको ये सिखाया होगा कि किस तरह लोगों को मूर्ख बनाया जाता है..किन्तु मेरी पाठशाला में आप जैसों को दिगंबर करने का पाठ बडे सलीके से पढाया गया मैंनें भी उस पाठ को तमीज से ही पढा है.तरकश का तीर कलम का शब्द सटीक हों तो सीने में ही उतरते हैं सीधे ॥ तो सर आप अपने स्पून सम्हाल के रखिये शायद ये आपके बुरे वक़्त में काम आ जाएँ । परंतु ऐसा कतई नहीं . होगा सर आप अपने सर से मुगालता उतार दीजिए । कि कोई चम्मच खाने के अलावा कभी और उपयोग में लाया