अलबेला खत्री लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
अलबेला खत्री लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

8.4.11

"डा० कुमार विश्वास का सच..!!"


कुमार विश्वास का परिचय : कविता कोष से साभार 

डा कुमार विश्वास हिन्दी कवि-सम्मेलन की वर्तमान धारा के सबसे अग्रणी हस्ताक्षरों में से एक हैं। उनका कवित्त और मंच प्रस्तुतिकरण, दोनों ही अत्यंत लोकप्रिय हैं। 'युवा दिलों की धड़कन' जैसे सम्बोधनों से पुकारे जाने वाले डा कुमार विश्वास युवाओं में सर्वाधिक लोकप्रिय कवि हैं। उनकी एक मुक्तक 'कोई दीवान कहता है' को देश का 'यूथ एंथेम' (युवाओं का गीत) की संज्ञा भी दी गई है। देश के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों, जैसे आइआइएम, आईआई टी, एन आई टी और अग्रणी विश्वविद्यालयों के सर्वाधिक प्रिय कवि डा विश्वास आज-कल कई फ़िल्मों में गीत, पटकथा और कहानी-लेखन का काम कर रहे हैं। (आगे पढ़िये)
                                कुमार की वेब साईट, फ़ेसबुक,आरकुट,ट्विटर,  यू-ट्यूब पर, कुल मिला कर अंतरजाल का तार पकड़ के न जाने यह गायक कब  कवि कहलाने लगा मुझे नहीं पता चल सका.  कुछ दिनों पहले ईवेंट-ग्रुप ने चाहा कि वे एक ऐसा कवि सम्मेलन आयोजित करना चाहते हैं जिसमें देश के वज़नदार कवि आएं.  मैने भी समीरलाल जी से सुन रखा था कि कुमार एक अच्छे कवि हैं... सो अन्य कवियों के अलावा कुमार से समीरलाल जी का  संदर्भ देकर उनके पारिश्रमिक की जानकारी चाही. अन्ना हज़ारे के साथ खड़े होकर बड़ी-बड़ी बात करने वाले इस युवा कवि ने जो कहा उसे सुनकार मुझे लगा शायद मैनें कोई गलत नम्बर डायल कर दिया हो . .  कुमार ने मुझसे कहा -"भाई पैसा तो हमको एक लाख रुपये नकद चाहिये यात्रा व्यय और रुकने का इंतज़ाम तो करेंगे ही आप...? "
 इस उत्तर को सुन मेरा मन हताशा से भर गया . अपने मित्र को साफ़ साफ़ कह दिया हमने कि -"मित्र हम छोटे लोग हैं इतना खर्च न उठा पाएंगे. उठा भी लें तो नक़द न दे पाएंगे.. आखिर आयकर बचाने में हम किसी की मदद क्यों करें ..?"
  बवाल ने क्या खूब लिखा "लाल और बवाल" पर उनके आयोजन पर 
  
कटाक्षे-आज़म डॉ. कुमार विश्वास जी के जबलपुर में कार्यक्रम पर उनके सम्मान में...........
बे‍अदबज़बानी, लम्पटता के क़ब्ज़े में ही आलम था !
वो साबुत लौट के इसकर गए, के सब्र हमारा कायम था !!

--- बवाल

5.3.11

अलबेला खत्री लाइव फ़्राम जबलपुर




सूरत से सिंगरौली व्हाया जबलपुर जाते समय जबलपुरियों हत्थे चढ़ गये राज़ दुलारे अलबेला के साथ आज न कल देर रात तक फ़ागुन की  आहट का स्वागत किया  गया बिल्लोरे निवास पर डाक्टर विजय तिवारी "किसलय" बवाल ,और हमने यक़ीं न हीं तो देख लीजिये 

 तयशुदा कार्यक्रम के मुताबिक हम कार्यालयीन काम निपटा के हज़ूरे आला की आगवानी के वास्ते जबलपुर रेलवे स्टेशन के प्लेटफ़ार्म नम्बर चार पर खडे़ अपने ड्रायवर रामजी से बतिया रहे थे. समय समय पर हमको  अलबेला जी कबर देते रहे कि अब हम यहां हैं तो अब हम आने ही वाले हैं किंतु पता चला कि महानगरी एक्सप्रेस नियत प्लेटफ़ार्म पर न आकर दो नम्बर प्लेट फ़ार्म पर आने वाली है. सो बस हम भी जबलपुर रेलवे स्टेशन के मुख्य-प्लेट फ़ार्म पर आ गये. जहां ट्रेन आने के बावज़ूद भाई से मुलाक़ात न हुई. मुझे लगा कि कि खत्री महाशय ने फ़टका लगा दिया. कि फ़िर एक फ़ोन से कन्फ़र्म हुआ कि ज़नाब यहीं हैं. कार में सवार हुये 
अलबेला जी को  इस बात का डर सता सता रहा कि मेरे घर उनका अतिशय प्रिय पेय मिलेगा या नहीं, मिलेगा तो पता नहीं पहुंचने के कितने समय बाद मिलेगा जिस पेय के वे तलबगार हैं....अर्र र र ललित भाई आप गलत समझे ये वो पेय नहीं जिसकी तलब में आप हैं भाई अलबेला जी को "चाय" की तलब थी , सो डिलाइट-टाक़ीज़ के पास होटल में ले जाया गया. कार में बैठे-बैठे चाय पी गई. घर आकर देखा तो वाक़ई श्रीमति जी मुहल्ले में आयोजित किसी कार्यक्रम में भागीदारी के लिये रवाना हो रहीं थीं. सो  
 हम मान गये लोहा अलबेला जी के दूरगामी चिंतन का .चाय तो मिली किंतु नियत समय से आधे-घंटे की देरी से. और फ़िर स्वागत सत्कार के लिये विजय तिवारी किसलय, भाई जितेंद्र जोशी (आभास के चाचू) बवाल, यशभारत जबलपुर के प्रति निधि श्री मट्टू स्वामी, पधारे इस बीच माय एफ़ एम 94.3 जियो दिल से वालों ने एक लाईव प्रसारण भी किया टेलीफ़ोन पर खूब चहके भाई अलबेला खत्री.    
 फ़िर क्या हुआ..?
फ़िर फ़िर ये हुआ कि :-"अलबेला जी लाइव हो गये बैमबज़र के ज़रिये. और क्या होना था"
मोबाइल कैमरा फ़ोटो सेशन के बाद अरविन्द यादव जी आये को फ़ोटो ग्राफ़्री हुई. जम के हुआ वेबकास्ट इंटरव्यू . 43 साथी लाइव देख रहे थे. 
यानी हंगामें दार रही शाम. की गवाही दे सकते हैं  संगीत निर्देशक श्री सुनील पारे, जीवन बीमा निगम के प्रबंधक श्री तुरकर जी एवम मेरे अग्रज़  श्री सतीष बिल्लोरे जो घटना स्थल के बिलकुल समीप थे. कुल मिला का होली-हंगामा शुरु.. 
 उधर भूख के मारे पेट में चूहे कत्थक,कुचिपुड़ी,सालसा, करने लगे भोजन भी तैयार था सो संचालकीय तानाशही का भाव मन में आया और हमने एकतरफ़ा ऐलान कर दिया..... सभा बर्खास्त, अब नहीं हो पा रही भूख बर्दाश्त. 
ताज़ा सूचना मिलने तक ज्ञात हुआ की अलबेला खत्री जी को ट्रेन में कंडेक्टर ने जगाया बोला जोर से मत सुनाओ. 
"क्या मैं कविता सुना रहा हूँ ..?"  
 टीसी ने कहा :- नहीं श्रीमान खर्राटे .......
मित्रो , जो बुके उनके स्वागतार्थ आये वे मेरे घर की शोभा बढायेंगे . सच अलबेला खत्री जी खूब याद आएंगे. 

20.10.10

एक अपसगुन हो गया. सच्ची...!

                                   दो तीन दिन के लिए कल से प्रवास पर हूँ अत: ब्लागिंग बंद क्या पूछा न भाई टंकी पे नहीं चढा न ही ऐसा कोई इरादा अब बनाता बस यात्रा से लौटने तक  . न पोस्ट पढ़ पाउंगा टिपिया ना भी मुश्किल है. सो आप सब मुझे क्षमा करना जी . निकला तो कल था घर से किंतु एक  अपसगुन हो गया. सच्ची एक अफसर का फून आया बोला :-"फलां केस में कल सुनवाई है आपका होना ज़रूरी है.  कल निकल जाना ! सो सोचा ठीक है. पत्नी ने नौकरी को सौतन बोला और हम दौनों वापस . सुबह अलबेला जी का फून आया खुशी  हुई जानकर कि  उनसे जबलपुर स्टेशन पे मुलाक़ात हो जाएगी. किंतु अदालत तो अदालत है. हमारे केस की  बारी आई तब तक उनकी ट्रेन निकल चुकी थी यानी कुल मिला कर इंसान जो सोकाता है उसके अनुरूप सदा हो संभव नहीं विपरीत भी होता है. श्रीमती जी को समझाया.  वे मान  गईं . उनकी समझ में आ गया. आज ट्रेन से हरदा के लिए रवानगी डालने से पेश्तर मन में आया एक पोस्ट लिखूं सो भैया लिख दी अच्छी लगे तो जय राम जी की अच्छी न लगे तो राधे राधे 
  तो  "ब्लॉगर बाबू बता रए हैं कि "Image uploads will be disabled for two hours due to maintenance at 5:00PM PDT Wednesday, Oct. 20th" सो आप सब ने देख ही लिया होगा.

Wow.....New

धर्म और संप्रदाय

What is the difference The between Dharm & Religion ?     English language has its own compulsions.. This language has a lot of difficu...