श्रृद्धांजली : मित्र अलबेला यानी टीकम चंद जी खत्री को



मेरा स्नेहाभिननन्दन अंगीकृत किया
यह समाचार हम सबके लिये दु:खद और क्षति का समाचार है कि भाई अलबेला जी अब हमारे बीच नहीं हैं. अलबेला जी यानी टीकमचंद खत्री एक ऐसा व्यक्तित्व लेकर अपने सार्वजनिक  जीवन को जी रहे थे जो आम आदमी को क़तई मय्यसर नहीं. जी हां वे खास थे .. जिससे भी एक बार मिले उसके अभिन्न हो गये . चाहे योगेन्द्र मौद्गिल हों अथवा आशुतोष असर  , ललित शर्मा, पाबला जी, राज भाटिया जी सबके दिल में बसी शख्सियत को कौन भुला पाएगा भला. भाटिया जी के भारत प्रवास के दौरान आयोजित ब्लागर्स मीट अविस्मरणीय थी. जबलपुर में एल.एन. सी.टी कालेज़ में आयोजित एक कार्यक्रम में भाई अलबेला आमंत्रित थे  किंतु कुमार विश्वास ने अपनी प्रस्तुति के बाद मंच पर स्वयम कार्यक्रम के समापन की घोषणा की जबकि आयोजकों के मुताबिक ऐसा करने का उनको कोई हक़ न था जब कि अलबेला भी मौज़ूद थे ... जिनकी उपस्थिति का ज़िक्र भी किया था कुमार ने.. पर जब हमने पीढ़ा व्यक्त की तो उन्हौने कहा था-"गिरीश भाई, मंच पर अब सियासी रंग तारी है.. हटाओ छोड़ो.. ! "
                           जब भी जबलपुर से गुज़रते तो वक़्त हुआ तो मेरे साथ न मिला तो फ़ोन पर बातचीत . ऐसा मित्र जिससे मिलकर हमारा ही नहीं उन सबका दिल धार धार अश्रुपूरित कर रहा होगा.... जो अलबेला के तनिक भी सम्पर्क में आए हों .
डा. किसलय के साथ अलबेला जी

                              हास्य कवि एंव मंच संचालक अलबेला खत्री का निधन मंगलवार 8 अप्रेल 14 को दोपहर 3 बजे के करीब हो गया, फेफड़े पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो जाने से उन्हें सूरत के नानपुरा स्थित महावीर क्रोमा हास्पिटल के ICU विभाग में करीब सप्ताह भर पूर्व भर्ती कराया गया था, उनकी स्थिति में कोई सुधार नही होने के पश्चात आज उन्होंने अंतिम साँस ली, देश-विदेश के काव्य मंचों पर वर्षों से अपनी प्रस्तुति के द्वारा अलग पहचान बनाने वाले अलबेला खत्री 'स्टार वन चेनल' पर प्रसारित 'ग्रेट लाफ्टर' कार्यक्रम के विजेता भी रह चुके हैं, तथा अन्य चेनलों पर भी अपनी प्रस्तुति दे चुके हैं। मूल गंगानगर (राजस्थान) के निवासी अलबेला खत्री अतीत में महाराष्ट्रा के मुंबई व मालेगांव जैसे शहरों में भी रह चुके हैं। कुछ वर्षों पूर्व उन्होंने सूरत में काव्य मंचो के द्वारा अपनी आजीविका प्रारम्भ की थी, शुरुआत में वे शहर के भागल विस्तार के नानावट क्षैत्र में और विगत कुछ वर्षों से अडाजण-पाल विस्तार के रामेश्वरम केम्पस स्थित अपने निजी आवास में रहते थे, परिवार में पीछे उनकी धर्मपत्नि आरती व 12 वर्षीय पुत्र आलोक हैं. 
नि:शब्द स्तब्ध हैं हम काश झूठी हो  खबर
पर नियति नटी का खेल अज़ीब होता है 
नियति उसको छीनती क्यों जो हमारे बेहद क़रीब होता है
... अलबेला की मिलनसारिता अलबेली थी .. अनवरत मित्रों से जुढ़ाव बनाए रखने का हुनर सिर्फ़ और सिर्फ़ अलबेला जी में थी अलबेला अब हमारे बीच सशरीर नहीं पर स्मृतियां शेष हैं... मेरे साथ उनने जमीन पर बैठकर सादा भोजन लिया साथ बैठे देर तक परिवार से बात की.. बाबूजी, हरीश भैया, सतीष भैया, और किसलय जी , जितेंद्र जोशी सबसे मिले.. पारिवारिक मुलाक़ात इतनी आत्मीय थी कि उस मुलाक़ात की यादें अमिट होनी तय थीं...
तभी तो अलबेला जी अब तो कुछ लिखने की हिम्मत भी नहीं बची न ही शब्द ही शेष हैं.. तुम साथ ले गये मेरे शब्द मेरे भाव निष्प्राण तो हम हो गये हैं... तुम सदा अमर रहो.. सबके मानस में ............... अलविदा श्रृद्धांजलियां... अमन ............ अलबेले मित्र को .
अलबेले ब्लाग अलबेला के

Albelakhatri.com
अलबेला खत्री की महफ़िल
Hasya Kavi Albela Khatri






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