6.1.11

मेरे बाबूजी खुश क्यों हैं !!


आते ही सबसे दयनीय पौधे के पास गए
(बाबूजी अपने  बेजुबान बच्चों से  बात करने आए )
दूसरे बच्चे की आसपास की साल-सम्हाल ही बाबूजी ने.
थक भी तो जाते हैं बाबूजी
फ़िर अगले ही पल मुस्कुराने लगते
इन बीस गमलों में आयेंगी नन्ही जमात
मेरे बाबूजी उन प्रतीकों में से एक हैं जो अपनी उर्जा को ज़िंदगी के उस मोड़ पर भी तरोताजा बनाए  रखने बज़िद हैं जहां लोग हताशा  के दुशाले ओढ़ लिया करते हैं.   कल ही बात है  अरविन्द भाई को बेवज़ह फोटोग्राफी के लिए बुलवाया बेवज़ह इस लिए क्योंकि न तो कोई जन्म दिन न कोई विशेष आयोजन न ब्लागर्स मीट यानी शुद्ध रूप से  मेरी इच्छा  की पूर्ती ! इच्छा  थी  कि बाबूजी  सुबह सबेरे की अपने गार्डन वाले बच्चों को कैसे दुलारते हैं इसे चित्रों में दर्ज करुँ कुछ शब्द जड़ दूं एक सन्देश दे दूं कि :-''पितृत्व कितना स्निग्ध होता है " हुआ भी यही दूसरे माले पर  उनका इंतज़ार उनके दूसरे बच्चे यानी नन्हे-मुन्ने पौधे  इंतज़ार कर रहे थे दादा नियत समय पर तो नहीं कुछ देर से ही आ सके आते ही सबसे दयनीय पौधे के पास गए उसे सहलाया फिर एक दूसरे बच्चे की आसपास की साल-सम्हाल ही बाबूजी ने. यानी सबसे जरूरत मंद के पास सबसे पहले. ऐसे हैं बाबूजी. जी सच सोच  रहें हैं आप सबके बाबूजी ऐसे ही होते हैं बस सभी को आंखों से पट्टी उतारना ज़रूरी है अपन अपने बाबूजी को देखने के लिए. बाबूजी को देखने के लिए बच्चे की नज़र चाहिये हम और आप मुखिया बन के तर्कों के  चश्में से  अपने अपने बाबूजी को देखेंते तो सचमुच हम उनको देख ही कहाँ पाते हैं. बाबूजी को पहले मैं भी तर्कों के  चश्में से देखता था सो बीसीयों कमियाँ नज़र आतीं थीं मुझे उनमें एक दिन जब श्रद्धा बिटिया, चिन्मय (भतीजे) की नज़र से देखा तो लगा सच कितने मासूम और सर्वत्र स्नेह बिखेरतें हैं अपने बाबूजी. सब के बाबूजी ऐसे ही तो होते हैं. सच मानिए जी बाबूजी के बड़े परिवार के अलावा 106 गमलों में निवासरत और बीस बच्चों की साल सम्हाल के लिये इन्तज़ाम कर भी तय किया है बाबूजी ने . नौकर चाकर माली आदी सबके होते बाबूजी उनकी सेवा करते हैं. उनकी चिंता में रहते हैं हम भाइयों ने जब कभी एतराज़ किया तो महसूस किया बाबूजी पर उनकी रुचि के काम करने से रोकना उनको पीडा पंहुंचाना है. अस्तु हम ने इस बिंदु पर बोलना बंद कर दिया. जिस में वे खुश वो ही सही है. अपने बुज़ुर्गों को अपने सत्ता के बूते (जो उनसे और उनके कारण हासिल होती है) उनपर प्रतिबंध लगाना उनकी आयु को कम करना है.मेरे पचासी साल के बाबूजी श्रीयुत काशीनाथ जी बिल्लोरे खुश क्यों हैं मुझे शायद हम सबको इसका ज़वाब मिल गया है न !!
बस थोड़ा सा हम खुद को बदल लें तो  लगेगा कि :-भारत में वृद्धाश्रम की ज़रुरत से ज़्यादा ज़रुरत है पीढ़ी की सोच बदलने की.

बाबूजी की बगिया की मुस्कान 






12 टिप्‍पणियां:

नीरज गोस्वामी ने कहा…

अपन अपने बाबूजी को देखने के लिए. बाबूजी को देखने के लिए बच्चे की नज़र चाहिये हम और आप मुखिया बन के तर्कों के चश्में से अपने अपने बाबूजी को देखेंते तो सचमुच हम उनको देख ही कहाँ पाते हैं.

वाह...वाह...वाह...कितनी सच्ची और अच्छी बात कही है आपने...बाबूजी को चरणस्पर्श.

नीरज

शिवम् मिश्रा ने कहा…

बाबूजी को प्रणाम ... आपका आभार !

गुड्डोदादी ने कहा…

सुंदर लेख
अच्छे विचार हम में हो हमें भी तो इस अवस्था में आना है
बाबू जी को शत शत नमन

समयचक्र ने कहा…

बहुत अच्छा लगा पढ़कर की बाबूजी इस उम्र में भी कर्मप्रधान जीवन जी रहे हैं और सक्रिय हैं और पौधौ की देखा रेख कर उन्हें नवजीवन प्रदान कर रहे हैं ... बाबूजी स्वस्थ्य रहें और दीघार्यु हों ...

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

नीरज भैया
मुझे हक़ीकत समय रहते समझ आई सच
यह आलेख आत्मकथ्य का एक भाग है
सादर

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

महेन्द्र भैया
गुड्डो-मां,शिवम जी शुक्रिया

ghughutibasuti ने कहा…

मुझे तो बाबूजी के पौधों से, नहीं, बाबूजी से अदेखाई हो रही है.उनके पास इतने सारे इतने सुंदर पौधे हैं. बाबूजी व उनके पौधों को मेरा प्रणाम, नमस्कार, यथायोग्य.
बढिया लेख लिखा है.
घुघूती बासूती

रूप ने कहा…

babuji ko bachcha ban ke hi dekhiye, tarkon ke chashme bahri logon ke liye chhod rakhiye.aabhaar.

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

मुखिया बनने की तमन्‍ना ही दूरियां उत्‍पन्‍न करती हैं। जब तक पिता हैं तब तक वे ही मुखिया हैं बस यही भाव जब रहता है तब कोई कठिनाई नहीं होती लेकिन जब पिता के रहते स्‍वयं के मुखिया बनने की चाह के कारण ही श्रद्धा के भाव में कमी आती है। आपके पिताजी इतने कर्मठ हैं उन्‍हें हमारा प्रणाम कहिएगा और उनकी फुलवारी देखकर तो साक्षात देखने का मन हो आया।

Unknown ने कहा…

वाह वाह क्‍या बात कही है, लगता नहीं कि 21वीं सदी में भी एसा कुछ संभव है, धन्‍य हैं आप, बधाई स्‍वीकारें


बाबू जो को सादर चरण स्‍पर्श कहिएगा और कहिए कि हमारे सा
थ ही साथ अपने सारे बच्‍चों पर अपना आर्शीवाद रूपी हाथ बनाए रखें,


सादर,

लिमटी खरे

ZEAL ने कहा…

बाबूजी को देखकर मन स्फूर्ति से भर गया। उन्हें मेरा प्रणाम कहिएगा।

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

ईश्वर उन्हें दीर्घायु करे और हमेशा यूंही ऊर्जावान बनाये रखे.

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